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Kidney Treatment - Comparitive Study in Hindi

खराब हो चुके गुर्दो का अंग्रेजी एवं होम्योपैथिक उपचार का तुलनात्मक अध्ययन

अंग्रेजी उपचार

  1. जिन्दगी भर इलाज लेना होता है।
  2. सारा ध्यान इस बात पर रहता है कि खराब गुर्दे का विकल्प क्या हो। रोग पैदा करने वाले कारणों का कुछ नहीं किया जा सकता है।
  3. अतः नये लगने वाले गुर्दे के भी खराब होने के पूरे पूरे चान्स रहते हैं।
  4. भरपूर दवाओं के चलते हुये भी अन्य सहयोगी रोग जैसे. डाइबिटीज, ब्लड प्रैशर अनियन्त्रित होते जाते हैं।
  5. गुर्दे के सामान्य रोगी भी अंग्रेजी इलाज लगातार लेने के वाद भी अपने रोग को लाइलाज होने से नहीं बचा पाते हैं।
  6. जीवनपर्यन्त 5000 से 20,000 रूपये प्रतिमाह केवल दवाओं पर ही खर्च होता है। विभिन्न जाचों एवं अस्पताल के खर्चे अतिरिक्त होते हैं।
  7. गुर्दा प्रत्यारोपण के लिये रोगी को शुरू में ही लगभग 5-6 लाख रूपये की आवश्यकता होती है। प्रत्यारोपण के बाद भी उम्र भर नियमित दवाईयॅा लेना जरुरी होता है।
  8. डाइलेसिस की स्थिति आ जाने पर इस प्रक्रिया को मात्र अंग्रेजी दवाओं से नहीं रोक़ा जा सकता है। शनैः शनैः डायलेसिस कराने के लिये जल्दी-जल्दी अस्पताल जाना पडता है।
  9. आजकल अंग्रेजी चिकित्सक रोगियों को भ्रामक जानकारी दे रहे हैं कि होम्योपैथी इलाज़ के बाद डाइलेसिस काम नहीं करती है।
  10. जीवनपर्यन्त रोगी सहज भाव से नहीं जी पाता है। हर समय संक्रमण या इन्फेक्शन हो जाने के डर से विभिन्न प्रकार की सावधानियॅा बरतनी पडती हैं।
  11. खान-पान में अत्यधिक परहेज़ करने पडते हैं।
  12. रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाने के कारण मरीज अन्य विभिन्न रोगों से पीडित होता रहता है।

होम्योपैथी उपचार

  1. ज्यादातर 2 से 5 वर्ष में दवायें बन्द हो सकती हैं।
  2. होम्योपैथी में किसी भी अंग का कोई विकल्प नहीं होता है। लेकिन इसमें खराब हो चुके अंग को पुनः स्वस्थ करने की क्षमता होती है।
  3. प्रत्यारोपण कराने के बाद यदि रोगी होम्योपैथिक इलाज़ कराता है तो ये उस नये गुर्दे को खराब नहीं होने देती है।
  4. क्लासीकल होम्योपैथिक इलाज के चलते अन्य सहयोगी रोग भी ठीक होते जाते हैं।
  5. गुर्दे के सामान्य रोगी यदि शुरू से ही क्लासीकल होम्योपैथी इलाज लें तो वो जीवनपर्यनत निरोगी होकर जीते हैं।
  6. इलाज का खर्च चिकित्सक की योग्यता के आधार पर निर्भर करता है। असाध्य रोग में डाक्टर को ज्यादा ध्यान देना होता है अतः खर्च सामान्य से अधिक होता है।
  7. रोग की गम्भीरती के अनुसार शुरु के महीनों में कुछ ज्यादा रूपयों की आवश्यकता हो सकती है। अन्यथा होम्योपैथी ही एकमात्र सबसे कम खर्चीला इलाज़ है।
  8. हौम्योपैथी इलाज़ से डाइलेसिस की पुनरावृति को कम किया जा सकता है। रोग के शुरू होते ही यदि होम्योपैथी ली जाय तो लगभग 80% रोगी बिना डायलेसिस कराये ही रोग मुक्त हो जाते हैं।
  9. डाइलेसिस तो खून को साफ करने की मशीनी प्रक्रिया मात्र है। इसका किसी दवा के प्रकार से कोई लेना-देना नहीं होता है। होम्योपैथी तो अंग्रेजी इलाज़ के पूरक की भूमिका भी निभाती है।
  10. 8-9 महीने के इलाज के बाद रोगी जीवनपर्यन्त संक्रमण वाली बीमारियों से निडर होकर जाता है। अतः अनावश्यक सावधानियों की आवश्यकता नहीं रहती है।
  11. खान-पान में कोई विशेष परहेज़ नहीं करना पडता है।
  12. होम्योपैथी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करके ही रोगी को रोग मुक्त करती है।



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I am medically graduated from SN Medical College Agra in 1981. I am having 12 doctors (from modern medicine) of different specialty in my whole family. I am the only one who went to London for doing diploma of homeopathy; this shows my keenness to be a homeopath.

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